प्रेम प्रसंग में फंसकर छात्र कैसे कर रहें अपना कैरियर बर्बाद? आइये समझते है..

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प्रेम प्रसंग एक  ऐसा नशा है जिसमे कोई भी छात्र अगर एक बार पड़ जाए तो उससे बाहर निकलना मुश्किल होता हैं। आज हम बात करेंगें कि आखिर प्यार प्रसंग में छात्र फंसते कैसे है? 
प्रतीकात्मक चित्र

सबसे पहले शुरू करते है छात्र के शुरुआती जीवन से जब छात्र विद्यालय में होता हैं। कोई भी व्यक्ति का चरित्र चार लोगों से निर्मित होता है:- 1. परिवार 2. समाज (परिवेश) 3. संगती (दोस्त) और 4. गुरू 

ये ही चारो से मिलकर किसी भी छात्र/व्यक्ती का चरित्र का निर्माण होता हैं। जब छात्र बाल्यावस्था में होता हैं तो वह अपने घर, समाज, दोस्त एवम् गुरू से सीखते हैं। धीरे-धीरे छात्रों में सोचने, समझने की शक्ति आनी शुरू हो जाती है और जब छात्र 10वीं में जाते है तो वहीं से प्यार प्रसंग में पड़ना शुरू हो जाते हैं। सही मायने में कहे तो प्यार मोहब्बत सिर्फ आकर्षण है जिससे छात्र चुम्बक कि भांति खींचा चला आता है। साइंस का माने तो यह कहता है कि कोई भी इंसान को एक व्यक्ती से हर समय प्यार होता ही नही है अगर इसी को सही तारिका से कहे तो 'टाईम पास' या 'समय कि बर्बादी'। 

अब हम बात करेंगें प्यार प्रसंग पनपता कैसे है? 

सबसे पहले एक बात बता दूं की यह पढाई कर रहे छात्रों के साथ सबसे ज्यादा होता हैं। जब छात्र कोचिंग संस्थान में प्रवेश करते हैं तो कुछ छात्र पढ़ने के बजाय छात्र/छात्रा एक दूसरे से आकर्षित होने लगते हैं जिसके कारण दोनों वर्ग में शिक्षक से किसी भी प्रकार के सवाल तक नही पूछते है शायद उन्हे लगता है कि अगर पूछेंगे तो कहीं हमारा मज़ाक न बन जाए। अब छात्र/छात्रा कोचिंग में समय से पहले पहुंच जाते और तरह-तरह कि तरकीब निकालते है जिससे छात्रा/छात्र उनके ओर आकर्षित होकर प्यार प्रसंग को स्वीकार ले। फिर धीरे-धीरे दोनो में करीबी बढ़ती है और कुछ समय इसी तरह चलने लगता है। 


समय बीतने लगता है अब छात्र/छात्रा किसी तरह 10वीं पास होकर आगे के वर्ग (12वीं) में चले जाते हैं। अब प्यार प्रसंग में तेज़ी पकड़ने लगता हैं। यही समय छात्रों को बर्बादी की तरफ खींचती है। अब छात्र/छात्रा एक दूसरे के बिना नहीं रहने का बड़े-बड़े वादे करने लगते है। यह समय ऐसा होता हैं की इन दोनों के सिर पर प्यार का भूत सवार हो जाता है। ऐसे-ऐसे बाते करने लगते है जैसे चांद, सितारे तोड़कर एक दुसरे को भेट कर दे। अब राते को जागना , व्हाट्सएप, फेसबुक या विभिन्न सोसल मीडिया पर घंटों एक दुसरे से बाते/मैसेज करना।

अब आता है अंतिम समय जिसने दोनों या तो कहीं भागकर शादी कर लेते हैं या आत्महत्या कर लेते हैं। जो भाग कर शादी कर लेते हैं वह अब पढ़ाई छोड़ देते हैं अब वह किसी होटल, दूकान में काम करके इनकम जुटाने में लग जाते हैं कि किसी तरह जीवनयापन हो सके। दूसरा आत्महत्या की अवस्था, जो कहें तो "दिल टूट जाना" इस समय छात्र धूम्रपान करना, शराब पीना, गुंडागर्दी करना शुरू कर देते है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के स्टेट्स लगना शुरू कर देते हैं। धीरे - धीरे छात्र मानसिक तनाव से ग्रसित हो जाते है और अंत में वह आत्महत्या जैसी बड़ी कदम उठा लेते हैं। इससे अपने साथ-साथ अपने परिवार का भी सर्वनाश कर बैठते हैं।

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