नशा एक शब्द है जिसका सीधा मतलब होता हैं 'नाश कर देने वाला' अर्थात् हम कह सकते हैं कि नशा किसी भी इंसान को नाश कर देता है चाहें वह नवजवान हों या बूढ़ा। वर्तमान समय में नवयुवक नशा के नए - नए तरकीब निकाल कर इसका सेवन करते हैं जो शरीर के लिए काफ़ी खतरनाक साबित होता हैं। इसका सेवन करके व्यक्ती अनेकों प्रकार के दंडनीय अपराध को अंजाम देते हैं कभी-कभी यह लोग इतने नशे में होते हैं की सामने वाले का खून भी कर देते हैं। आज अगर देश में अपराध बढ़ा है तो उसका मुख्य कारण नशा का सेवन करना भी है।
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प्रतीकात्मक चित्र |
क्या आपकों पता है की आख़िर नशा करता कौन है?
वैसे तो कहा जाता हैं कि किसी भी चीज़ का लत नशा ही कहलाता है। आपकों बता दें कि नशा का लत कोई भी व्यक्ति तीन प्रकार से पकड़ता है- 1. जो मजदूरी करता है। 2. जो मानसिक तनाव से ग्रसित है। 3. जो प्रेम प्रसंग वाला में पड़ा हो।
अब सबसे पहले मजदूर वर्ग को देखते है- ये लोग काम करते समय अपने साथी, संबंधी से नशा करने का शिकार हो जाते है अगर देखा जाए तो एक मजदूर काफ़ी मेहनत करता है जिसके कारण अपना थकान मिटाने के लिए तंबाकू, गुटखा, मदिरा, सिगरेट, खैनी एवम् विभिन्न प्रकार के नशा करना शुरू कर देते हैं। इनका मानना है की नशा करने से थकान मिटता है और शरीर में पुनः नए ऊर्जा का संचार हो जाता है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि नशा शरीर के सभी अंगों को सुन कर देता है एवम् साथ ही साथ भुख न लगना, अल्शर, पेचिश, कैंसर ... जैसी अनेकों प्रकार कि बीमारी शरीर में उत्पन्न कर देता है। जिससे मनुष्य एक जानवर की भांति काम करते चला जाता है थकान की अनुभूति नहीं होती।
अब दूसरे प्रकार को समझते है- मानसिक तनाव से ग्रसित ये वे लोग होते हैं जो किसी प्रकार के मानसिक तनाव (मेंटल प्रेशर) से गुजरते हैं जैसे- परिवार में किसी का मर जाना, परीक्षा में फेल हो जाना, आपसी विवाद, नकारात्मक सोच, बिजनेस में भारी नुकसान हो जाना आदि। जिसके कारण धूम्रपान , शराब एवम् ऊपर वर्णित विभिन्न प्रकार के नशा का सेवन करना शुरू कर देते हैं। इस तरह के लोग पहले अपने परिवार को खोते हैं और उनके चले जानें के बाद नशा करके अपने आप को खो देते हैं।
अब अंतिम एवं तीसरा प्रकार को समझते है- प्रेम-प्रसंग - सही मायने में कहे तो प्यार करना बुरी बात नही है लेकिन इसके चक्कर में अपना जीवन (कैरियर) बर्बाद कर देना सबसे बुरी बात है। ऐसे लोग सबसे पहले तो झूठा वाला (टाईम पास) प्यार मोहब्बत करते हैं और एक दूसरे से बिछड़ने के बाद नशा करना शुरू कर देते हैं। इसे हम दिखावे के लिए नशा करना कह सकते हैं। जो आगे चलकर काफी खतरनाक साबित होता हैं। पहले तो प्यार में दिल टूटता है बाद में नशा करने से फेफड़ा, किडनी.. सब टूट जाता है।
अब सरकार की कमी, परिवार की कमी , समाज की कमी और साथ ही साथ पढ़ रहे छात्रों के शिक्षक की कमी के बारे में समझते है..
सरकार - लगातार देश के विभिन्न राज्यों में शराबबंदी नशा मुक्ति अभियान जैसे झूठे अभियान चलाए जाते हैं लेकिन सही मायने में देखे तो इस अभियान से नशा मुक्ति के बजाय लोग और काफी तेजी से नशा की ओर अग्रसर होते हैं अगर सरकार को नशा मुक्ति अभियान चलाने ही होती है तो सबसे पहले दुकानों पर बिक रहे विभिन्न प्रकारों के नशा युक्त पदार्थ को बंद करवाएं।
परिवार - परिवार कि कमी ये होती है की अपने बच्चे पर ध्यान नहीं देते। कब कॉलेज गया? कब कोचिंग गया? कब आया? क्या कर रहा है? कुछ ध्यान नहीं देते। अगर जिनको किसी के माध्यम से उनके बच्चे के बारे में पता भी चला तो किसी अनहोनी न हो जिसके कारण उन्हें डांटते भी नही है। जो आगे चलकर काफी नुकसानदे: साबित होता है।
समाज - समाज के लोगों की यह कमी होती है कि उनके आसपास में कोई भी व्यक्ति नशा कर रहा होता है और उन्हें वह लोग रोकते तक नहीं बल्की उल्टे उनलोगों को नशा छुड़वाने का प्रयास ना करके उनकी प्रशंसा करके और अधिक मात्रा में उन्हें नशा सेवन करने की सुझाव देते हैं।
शिक्षक - एक शिक्षक का कर्तव्य सिर्फ यह नहीं होता कि उन्हें शैक्षणिक ज्ञान दे दी जाए बल्कि उनका यह भी कर्तव्य होता है की शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान भी प्रदान करें। शिक्षक अगर किसी भी प्रकार के महाविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं तो वहां के नियम कानूनों को सख्त रखना चाहिए और साथ ही साथ - साथ सभी बच्चों के ऊपर समय-समय पर ध्यान देनी चाहिए। जिससे छात्र बुरी संगतियों में ना पड़े और सही तरीके से अपने चरित्र का निर्माण कर सकें।