पुपरी: मां ममतामयी होती है। किंतु कभी-कभी मां की करतूत ममता को कलंकित कर बैठती है। मंगलवार को इसी प्रकार की घटना पुपरी प्रखंड के कुसैल गांव जाने वाली पक्की सड़क के किनारे गेंहू के खेत में देखने की मिली हैं। एक मां ने अपने दो माह की बेटी को गेंहू के खेत में छोड़ दिया। गांव की महिलाओं ने बच्ची की रोने की आवाज सुनकर उसे खोज निकाला।
पुपरी में घटी यह घटना मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली है। एक मां द्वारा अपने दो माह की नवजात शिशु को गेहूं के खेत में छोड़ देने की घटना ने समाज के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। यह घटना न केवल मातृत्व के पवित्र भाव को कलंकित करती है, बल्कि समाज में बढ़ती संवेदनहीनता और नैतिक मूल्यों के ह्रास को भी उजागर करती है।
शिशु का मिलना: गांव की महिलाएं सरेह (चारागाह) में मवेशियों को चारा डालने गई थीं, तभी उन्हें गेहूं के खेत से एक नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनाई दी। महिलाओं ने तुरंत खेत में जाकर बच्ची को देखा और उसे सुरक्षित बाहर निकाला।
लोगों की प्रतिक्रिया: शिशु के मिलने की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और लोगों की भीड़ जुटने लगी।कई लोग बच्ची को अपनाने के लिए आगे आए, लेकिन कानूनी प्रक्रियाओं के कारण उन्हें तुरंत बच्ची को अपनाने की अनुमति नहीं मिली।
पुलिस की कार्रवाई: मोबाइल पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और छानबीन शुरू की।बच्ची को सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ने उसे चाइल्ड लाइन सीतामढ़ी को सौंप दिया।
शिशु को अपनाने की इच्छा: एक परिवार ने बच्ची को अपनाने की इच्छा जताई, लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें बच्ची नहीं दी जा सकी।
समाज की जिम्मेदारी: ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है। गरीबी, अशिक्षा और सामाजिक दबाव के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
प्रशासनिक कार्रवाई: पुलिस और चाइल्ड लाइन जैसे संगठनों ने बच्ची की सुरक्षा सुनिश्चित की है।बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाना चाहिए, ताकि उसे एक सुरक्षित और प्यार भरा घर मिल सके।