Bachpan : चलिए आपको आज बचपन की सैर कराते है , ये सब देखने के बाद बचपन की याद जरूर आ जाएगी

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आपने अकसर 90’s के समय के बारे में लोगों को बात करते हुए सुना होगा. इस दौर के बारे में आपने सभी के मुंह से सिर्फ़ तारीफ़ ही सुनी होगी. लेकिन आजकल के नौजवानों को शायद पता ही नहीं होगा कि वो दौर कैसा था. इसी सवाल का जवाब लेकर आए हैं हम. इस पिक पोस्ट को देखकर नए ज़माने के बच्चों को उस सुनहरे वक़्त का आइडिया हो जाएगा और पुराने लोगों की यादें ताज़ा हो जाएंगी.

उस ज़माने में इसके सहारे टाइम पास होता था

संडे कुछ ऐसा होता था

लैंडलाइन फ़ोन, जहां पड़ोसियों के भी फ़ोन आते थे

इसके तो बच्चे दीवाने थे

क्वॉलिटी वॉल्स की आईस्क्रीम वाले का इंतज़ार सबको रहता था

ख़ुद की साइकिल बहुत बड़ी बात होती थी

स्कूल में इंग्लिश बोलना सभी अपनी शान समझते थे 

ये वो गेम है जो बच्चे अकसर गलियों में खेलते दिख जाते थे

तब स्टार प्लस कुछ ऐसा दिखाई देता था

Duck Tales बच्चों का फ़ेवरेट कार्टून शो




संडे को चंद्रकाता सीरियल का इंतज़ार रहता था 

चाचा चौधरी, चंपक, नागराज कॉमिक्स दोस्तों से उधार लेकर पढ़ते थे

मिल्टन की बॉटल

इंक पेन का इस्तेमाल करना

कुछ ही लोगों के पास मोबाईल फ़ोन्स होते थे

मारुती 800

फ़्लाइट की जगह रेल से सफ़र करना

पार्ले Kissmi बार के लिए दोस्तों से लड़ना

पहले रुपयों की जगह पैसे भी चलते थे 

बेस्ट कॉमेडी सीरियल श्रीमान-श्रीमती

सिगरेट कैंडी

Onida वाला डेविल

आदर्श बालक जैसे चार्ट पेपर से पढ़ना 

VHS किराए पर लाकर मूवी देखना

च्यूइंगम के साथ मिलने वाला टैटू

रसना के बिना हर पार्टी अधूरी रहती थी

DD1 के सभी एंकर्स के नाम याद होते थे

जब भी कोई विदेश जाता था तो बच्चों के लिए Toblerone चॉकलेट लाता था

लकी अली, बाबा सहगल, अलिशा चिनॉय के Pop Songs 

‘हिप-हिप हुर्रे’ स्कूल जाने वाले बच्चों का फ़ेवरेट सीरियल

नटराज का Geometry Box

लाइट चले जाने पर तुरंत पॉवर हाउस में फ़ोन करना

इसका मतलब था टीवी सिग्नल में कोई ख़राबी आना

लाइट वाले जूतों का क्रेज़

टीवी पर 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' गाना आते ही गुनगुनाने लगना

Reynolds का पेन

बाटा के पीटी शूज़

सुपरहीरो मतलब शक्तिमान

अंताक्षरी खेलना

हाजमोला.

आ गई ना 90’s की याद?

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