प्रयागराज महाकुंभ में आस्था का महासागर, संगम पर 28 जनवरी को सबसे बड़ा स्नान, लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

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प्रयागराज के संगम तट पर इस वर्ष के महाकुंभ मेले में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। मकर संक्रांति के बाद, 28 जनवरी को सबसे अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। श्रद्धालुओं की आस्था का आलम यह रहा कि सुबह 4 बजे से ही लाखों लोग संगम में डुबकी लगाने पहुंचने लगे। शाम तक यह संख्या 4.64 करोड़ तक पहुंच गई, ऐसा उम्मीद किया जा रहा है कि रात 12 बजे तक यह आंकड़ा 5 करोड़ के पार कर जाएगा। यह संख्या मकर संक्रांति और पौष पूर्णिमा के स्नान पर्वों को भी पीछे छोड़ चुकी है।


सुरक्षा और व्यवस्थाओं पर खास जोर

श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने और उन्हें सुविधाएं देने के लिए प्रशासन ने इस बार कई नई तकनीकों और आधुनिक प्रबंधन का सहारा लिया। 30,000 से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात थे, जो श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के साथ-साथ उनकी सुरक्षा का ध्यान रख रहे थे।

  • हेलीकॉप्टर और ड्रोन से निगरानी: पूरे मेले क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर हेलीकॉप्टर से निगरानी की गई। संगम क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन के लिए ड्रोन कैमरों की मदद ली गई।
  • डिजिटल सूचना केंद्र: श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन देने और सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए डिजिटल सूचना केंद्र बनाए गए थे।
  • मेडिकल कैंप: संगम के पास और आसपास 100 से अधिक मेडिकल कैंप लगाए गए, जहां जरूरतमंदों को तुरंत चिकित्सा सहायता दी गई।

महाकुंभ का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व

महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।

  1. पर्यटन में उछाल: इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने से प्रयागराज और आस-पास के इलाकों में होटल, परिवहन, और स्थानीय बाजारों में जबरदस्त उछाल देखा गया।
  2. धार्मिक पर्यटन का वैश्विक आकर्षण: विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचे हैं, जिससे भारत के धार्मिक पर्यटन को वैश्विक पहचान मिली।

विशेष यातायात प्रबंधन

स्नान के दिन प्रयागराज में जाम की स्थिति से निपटने के लिए खास इंतजाम किए गए।

  • रेलवे ने स्पेशल ट्रेनें चलाईं।
  • रोडवेज ने प्रयागराज के लिए 1500 से अधिक अतिरिक्त बसें उपलब्ध कराईं।
  • पार्किंग और शटल सेवाओं के जरिए संगम क्षेत्र तक आने-जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई।

प्रयागराज महाकुंभ का यह आयोजन हर बार की तरह इस बार भी धार्मिक आस्था और भव्यता का प्रतीक बनकर उभरा है। संगम पर करोड़ों श्रद्धालुओं की डुबकी ने इसे एक ऐतिहासिक और अद्वितीय आयोजन बना दिया है।

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