आइजोल, मिज़ोरम: भारत में जेनरेशन बीटा (Generation Beta) के पहले बच्चे का जन्म मिज़ोरम के आइजोल शहर में हुआ। यह ऐतिहासिक क्षण 1 जनवरी, 2025 को सुबह 12:03 बजे Durtlang स्थित Synod Hospital में हुआ। इस बच्चे का नाम फ्रेंकी रेमरुआटडिका जादेंग (Frankie Remruatdika Zadeng) रखा गया है, और यह भारतीय इतिहास में जेनरेशन बीटा का पहला सदस्य है।
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Pic: AIR |
जेनरेशन बीटा का अर्थ और महत्व
जेनरेशन बीटा 2025 से 2039 के बीच पैदा होने वाले बच्चों की पीढ़ी को दर्शाता है। यह पीढ़ी तकनीकी प्रगति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और हरित विकास के युग में बड़ी होगी। विशेषज्ञों के अनुसार, जेनरेशन बीटा आने वाले समय में सामाजिक और तकनीकी परिवर्तनों का प्रमुख आधार बनेगी।
फ्रेंकी के जन्म ने मिज़ोरम और पूरे देश को गौरवान्वित किया है, क्योंकि यह एक नई पीढ़ी की शुरुआत का प्रतीक है।
फ्रेंकी का जन्म: परिवार और समाज में खुशी की लहर
फ्रेंकी का जन्म उनके परिवार और पूरे समुदाय के लिए खुशी का बड़ा अवसर बन गया। उनके माता-पिता ने अपने बेटे के जन्म पर गर्व और आभार व्यक्त किया। बच्चे की मां, मारिया जादेंग, और पिता, जोसेफ जादेंग, ने कहा कि वे बेहद खुश हैं कि उनका बेटा जेनरेशन बीटा के रूप में भारत में इतिहास का हिस्सा बना।
Synod Hospital में जश्न का माहौल
Durtlang स्थित Synod Hospital में डॉक्टरों और अस्पताल कर्मियों ने फ्रेंकी के जन्म का गर्मजोशी से स्वागत किया। अस्पताल प्रशासन ने इस अवसर पर कहा, "हम गर्व महसूस कर रहे हैं कि हमारे अस्पताल में भारत का पहला जेनरेशन बीटा बच्चा पैदा हुआ। यह हमारे लिए सम्मान की बात है।"
जेनरेशन बीटा: भविष्य की ओर बढ़ता कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि जेनरेशन बीटा तकनीकी प्रगति और स्थिरता के साथ वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस पीढ़ी के बच्चों का पालन-पोषण कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पर्यावरणीय जागरूकता, और डिजिटल तकनीक के अत्याधुनिक युग में होगा।
फ्रेंकी रेमरुआटडिका जादेंग का जन्म भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। यह न केवल एक परिवार, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। मिज़ोरम का यह ऐतिहासिक योगदान आने वाले समय में भारत और विश्व के भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देगा।
जेनरेशन बीटा के इस पहले बच्चे का जन्म यह दर्शाता है कि तकनीकी और सामाजिक प्रगति के इस नए युग में भारत एक मजबूत और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रहा है।