पता है दिक्कत कहाँ है?
बात 25-26 दिसंबर 2022 यानी लगभग एक महीना पहले का हैं। शाम के लगभग 5 बज रहा था। मैं (Navin Nayan), आनंद मोनू भैया और Pravin Gupta तीनों आदमी बैठे थे। पुपरी पेज का 11 जनवरी को वर्षगांठ था। कुछ अलग करने का सोच रहें थे। सोच रहें थे कि सब जन्मदिन पर केक काटता है, कोई कंबल वितरण करता है तो कोई गरीब को भोजन कराता है। लेकिन हमलोग आज तक जन्मदिन पर केक नहीं काटे हैं। इसलिए पुपरी पेज के पांचवीं वर्षगांठ पर कुछ अलग करने का सोच रहें थे।
मोनू भैया को एक विचार दिए। हमलोग पेज के वर्षगाँठ के अवसर पर प्रतिभा खोज परीक्षा करा कर बच्चों को सम्मानित करें तो बच्चों और अभिभावकों के बीच में शिक्षा के प्रति लगवा बढ़ेगा और शिक्षा के प्रति गांव समाज के लोग जागरूक भी होंगे।
भैया को विचार अच्छा लगा.. उन्होंने सुझाव दिए इस बार 2023 में दसवीं (मैट्रिक) का परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों का ही परीक्षा लिया जा सकता है क्योंकि बिहार बोर्ड परीक्षा से पहले हमलोग परीक्षा लेंगे तो बच्चों का कॉन्फिडेंस भी बढ़ेगा। लेकिन 11 जनवरी को ही पेज का वर्षगाँठ था। मात्र 15 दिन बचा था। इतना जल्दी परीक्षा लेना संभव नहीं था। कैसे क्या करना है? तीनों आदमी को रात भर में प्लान तैयार करना था।
रात में प्रवीण भाई से बात हुई। हम प्रवीण भाई को बोले; जब प्रतिभा खोज परीक्षा करवाना ही है तो जल्दबाजी नहीं करना है। भले वर्षगाँठ के बाद ही होगा लेकिन बड़े स्तर पर होगा। वे तैयार हो गए।
कल होकर फिर तीनों आदमी का विचार हुआ लेकिन टॉपर बच्चों को क्या पुरस्कार दिया जाए? इसी पर चर्चा हो रही थी। मेरा मन था पहला टॉपर को लैपटॉप दिया जाए। मोनू भैया बोले; इतना रुपया कहाँ से आएगा? हम बोले भैया; आर्केस्टा के नाम लोग सब 2000 रूपया मिनटों पर निकाल देता है और बच्चों को शिक्षा के लिए 500-500 लोग मदद नहीं करेगा। भैया के मन में शक था लोग इस काम में मदद नहीं करेगे । फिर भी तीनों आदमी सोच लिए थे। जैसे भी हो यह परीक्षा करवाना ही है। क्योंकि गांव समाज में शिक्षा के प्रति लगाव गिरता जा रहा हैं। इसको बढ़ाने के लिए इस तरह का आयोजन शुरू करना जरूरी हैं।
अब समय था फॉर्म भरने का शुल्क कितना रखा जाए? हमलोगों को मन था फॉर्म निःशुल्क कर दिया जाए। इससे पहले हमलोग इस तरह का आयोजन कभी किये नहीं थे इसलिए कुछ आईडिया भी नहीं था। अब इस तरह के आयोजन के लिए कुछ ऐसे लोगों की जरूरत थी जो हमें सही राह दिखा सकें। सबसे पहले हमलोग अपना प्लान अतुल जी को बताए। उनको हमलोगों का प्लान बहुत ही अच्छा लगा । उन्होंने कुछ सुझाव दिए और सहयोग करने की बात सुन कर हमलोगों को कॉन्फिडेंस और बढ़ गया।
उनके बाद हमलोग प्रकाश जी से मिलें। क्योंकि प्रकाश जी को इस तरह के आयोजन का अनुभव था। उनको हमलोगों ने अपना प्लान बताया और उन्होंने एक लाइन में जवाब दिया; अपलोग का प्लान बेस्ट है लेकिन एक बार SDM सर से मिल लीजिए। उसके बाद हमलोग मिलकर आगे का प्लान करेंगे।
"हमलोग" शब्द सुनकर हम तीनों आदमी का कॉन्फिडेंस और बढ़ गया। क्योंकि पहले तीन से अब पाँच हो गए थे। बात SDM सर से मिलने की तय हुई। 01 जनवरी को नव वर्ष होने से हमलोग 02 जनवरी को प्रकाश जी के माध्यम से SDM सर से मिलने का समय रखें। किसी कारण बस 02 जनवरी को मोनू भैया को बाहर निकलना था तो उस दिन मैं, प्रवीण, नेमत और प्रकाश जी SDM सर से मिलने गए। हमलोगो ने सर को पूरा प्लान दिखाया । प्लान अच्छा लगा। SDM सर अपने स्तर पूरा सहयोग करने को तैयार हो गए। पुरस्कार का लिस्ट देख कर फॉर्म शुल्क के बारे में पूछे,तो हमलोग बोले फॉर्म शुल्क मात्र 30 रुपया रखें हैं। सर बोले; इतना कम क्यों? हमलोगों ने बताया ; सर मात्र 30 रुपया रखे है फिर भी बहुत लोग फॉर्म नहीं भरेगा। क्योंकि यहाँ के लोग जागरूक नहीं हैं। फिर सर ने हमलोगों को तैयारी शुरू करने की और अपनी ओर से पूरा सहयोग करने की बात कहें।
SDM सर से मिलने के बाद फॉर्म भरने की तैयारी शुरू कर दिए। लेकिन हमलोग को एक और परेशानी थी। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस और सरस्वती पूजा और 01 फरवरी से इंटर का परीक्षा शुरू होने वाली थी। इसलिए हमलोगों के पास 22 जनवरी लास्ट ऑप्शन था। क्योंकि परीक्षा रविवार को ही करवाना था।
इधर फॉर्म भरने का काम शुरू था। हमलोग की कोशिश थी कि अधिक से अधिक बच्चा परीक्षा में शामिल किया हो । उम्मीद भी था कम से कम 01 हजार बच्चा इस परीक्षा में शामिल होगा। इसलिए परीक्षा सेंटर नहीं कंफर्म कर रहें थे। हमलोग कोशिश कर रहें थे बच्चों की संख्या देख मार्केट में ही सेंटर दिया जाए। ताकि बच्चों को आने जाने में असुविधा नहीं हो। लेकिन हुआ एकदम उल्टा, 400 बच्चा भी फॉर्म नहीं भर पाया ।
अब हमलोग को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर बच्चा फॉर्म भर क्यों नही रहा है? जबकि हमलोग मात्र 30 रुपया फॉर्म का शुल्क रखें हैं। इससे महंगा रजनीगंधा होता है जो लोग खा कर थूक देता हैं। बाद में पता चला कुछ शिक्षा प्रेमियों ने जानबूझकर इस परीक्षा में बच्चों को शामिल नहीं होने दिया। ऐसा उसने क्यों किया ये तो मुझे नहीं पता, लेकिन इतना तो कह ही सकते है कि उन्होंने अपने निजी फायदे के लिए बच्चों को एक अच्छा मंच से वंचित कर दिया।
ख़ैर हमलोग की अपनी तैयारी चल ही रहा थी। अब फॉर्म भरने का काम खत्म हो चुका था। इधर हमलोग परीक्षा क्रेंद खोजना शुरू कर दिए। हमलोगों को दो परीक्षा केंद्र की जरूरत थी। ताकि लड़का-लड़की का परीक्षा केंद्र अलग-अलग हो। बच्चों के सुविधा के लिए मार्केट में ही सेंटर खोज रहें थे। पहला मारवाड़ी मध्य विद्यालय जो सरकारी विद्यालय होने से हमलोग को उम्मीद था कि वे विद्यालय तो कंफर्म हैं। दूसरा कोई सरकारी विद्यालय मार्केट में था नहीं, अब हमलोग निजी विद्यालय खोजना चालू किए। विद्यालय ऐसा चाहिए था जिसमें 200 बच्चों का एक साथ परीक्षा लिया जा सकें।
अब हमलोगों की मुलाकात संजय भैया से हुई । उनसे मिलने के बाद परीक्षा केंद्र के नाम पर चर्चा हुई। हमलोग उनको एक परीक्षा केंद्र खोजने की बात कहें। क्योंकि उनके पास निजी स्कूल वालों से विशेष लगाव हैं। उन्होंने अपनी ओर से पूरी कोशिश कर के एक स्कूल को तैयार किया । लगभग 17 जनवरी का दिन था। हमलोग उस स्कूल में गए जगह देखें। 200 बच्चों के बैठने के लिए डेस्क बेंच था नही लेकिन मार्केट में होने से हमलोग एडजेस्ट कर लेते। फिर प्रिंसिपल से बात हुई। उन्होंने बहुत सारे नियम बताए। हमलोगों ने सभी नियम हो मान लिया । सेंटर कंफर्म हो गया । इसमें संजय भैया का योग्यदान सराहनीय था।
अब हमलोगों को परीक्षा केंद्र का परेशानी खत्म था। हमलोग वापस एडमिट कार्ड की तैयारी में लग गए। 18 जनवरी को संजय भैया का कॉल आता हैं। बहुत ही दुःखी हो कर बोलते है निजी स्कूल वाला (नाम नहीं बता सकते है) सेंटर कैंसिल हो गया। दूसरा खोजना होगा..... पहले तो हमें मजाक लगा लेकिन फिर उन्होंने विश्वास दिलाया कि सही में स्कूल वाला मना कर दिया हैं। अब हमलोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि हमलोग क्या करें? परीक्षा में तीन दिन बचा है एडमिट कार्ड भी देना है परीक्षा सेंटर कंफर्म नहीं हैं।
शाम के लगभग 7 बज रहा था। हम प्रवीण और मोनू भैया बैठे थे। परीक्षा केंद्र के बारे में सोच रहें थे। मेरे पास DPS स्कूल के बारे में आईडिया आया। क्योंकि DPS स्कूल के डायरेक्टर Dr-Razi Haider Ujala पुपरी पेज पर बहुत दिनों से जुड़े हुए थे। उनका कमेंट हमेशा मोटिवेट करने वाला रहता था। इसी उम्मीद से उनसे संपर्क करने का विचार किए। मेरे पास उनका नंबर था नही और नही उनसे कभी मिले थे। वे भी पर्सनली हमें जानते नहीं थे लेकिन वे पुपरी पेज को जरूर जानते थे। हमने किसी से नंबर लेकर उनको सीधे फ़ोन लगाया। उनको पुपरी पेज प्रतियोगिता परीक्षा के बारे में बताए। डायरेक्टर सर बिना किसी किंतु परंतु, बिना कोई सवाल किए एक बार में तैयार हो गए। उन्होंने इतना तक बोल दिया कि मेरे स्कूल के शिक्षक सब भी आपके इस परीक्षा में पूरा सहयोग करेंगे। जबकि छुट्टी का दिन होने से हमलोग शिक्षक सब को परेशान नहीं करना चाहते थे। सर को बोले भी की हमलोग खुद कर लेंगे। लेकिन उन्होंने एक लाइन में कहा कि पुपरी की परीक्षा हमलोगों की परीक्षा हैं। हमलोग नहीं साथ देंगे तो कौन देगा। फिर सेंटर कंफर्म हो गया।
अब मारवाड़ी स्कूल में सेंटर की बात थी तो प्रकाश जी स्कूल के प्रिंसिपल से बात कर लिए थे। हमलोग एक एप्लिकेशन लिख के स्कूल से अनुमति ले लिए।
अब हमलोगों के पास 1. DPS Pupri और 2. मारवाड़ी स्कूल के रूप में दो परीक्षा सेंटर था। मड़वारी में लड़का और DPS में लड़की का परीक्षा सेंटर बनाया गया ।
हमलोग का मन था कि परीक्षा केंद्र का परीक्षण अनुमंडल के सभी अधिकारी करें। उसके लिए हम प्रकाश सर और ध्रुव 21 जनवरी को दिन भर सभी अधिकारियों को आवेदन देने में व्यस्त रह गए।
इधर प्रवीण भाई को सबसे जरूरी काम था जो उनसे ही संभव था। उनको 21 तारीख को क्वेश्चन और OMR के एडिटिंग के लिए फ्री छोड़ दिये थे। शाम हो गई थी। एक भी क्वेश्चन प्रिंट नहीं हुआ था। जो सबसे जरूरी काम था। इधर के सभी काम लगभग खत्म कर लिए थे। उम्मीद था कि हमलोग 10-11 बजे रात तक सभी क्वेश्चन और OMR प्रिंट कर के सोने चले जायेंगे। क्योंकि सुबह सेंटर भी तैयार करना था। उस रात हम (नवीन) मोनू भैया, प्रवीण भाई, नेमत भाई और दीपक भाई पाँच आदमी थे। 7 बजे से प्रिंट होना चालू हुआ। सभी लोग सीरियल अलग करने में लग गए। धीरे-धीरे 12 बज गया। अभी 200 क्वेश्चन ही प्रिंट हुआ था। सभी लोग सुबह से ही भूखे थे। अब खाना खाने जाते तो क्वेश्चन नही प्रिंट हो पाता इसलिए कोई आदमी खाने नहीं गए। मन लगाने के लिए मोनू भैया रात 12 बजे पेज पर लाइव आए। लगभग एक घण्टे तक हमलोग लाइव में गाने सुनाए। क्योंकि भैया के आवाज सुनने में बहुत अच्छा लगता है । इसलिए हमलोग उनसे काफी रिक्वेस्ट किए थे।
जैसे तैसे 2 बजे तक प्रिंट किये। उसके बाद मोनू भैया घर चले गए। ठंड ज्यादा थी उन्होंने अपने हाथों से चाय बनाकर कर भेजा । साथ बिस्किट, लाइ और तिलकुट भी भेजे। हमलोग उसी को खा कर रात बिताए। जैसे तैसे हमलोगो ने सुबह 07 बजे तक सभी तैयारी पूरा कर लिया ।
अब परीक्षा दिन की देखभाल के लिए हमलोग 30 आदमी को पहले ही बोल दिए। सभी लोग समय से पूर्व आ गए। सभी लोगो ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई ।।
SDM sir, DSP Sir 26 जनवरी के मीटिंग में व्यस्त होने के कारण निरीक्षण नहीं कर सकें। इधर सब इंस्पेक्टर सर और नगर कार्यपाल अभियंता अतिउर रहमान ने परीक्षा के दिन परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण भी किए। और इस तरह का आयोजन से खुश भी हुए।
इस तरह से "पुपरी पेज प्रतिभा खोज परीक्षा" उम्मीद से कहीं ज्यादा शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गया ।
अपलोगों से निवेदन है कि....
अब पुपरी पेज को #पहली बार अपलोगों की #जरूरत हैं। वह भी हमें अपने लिए नहीं परीक्षा में शामिल होने वाले बच्चों के लिए। सभी बच्चों को सम्मानित करना हैं। पाँच टॉपर में क्रमशः लैपटॉप, स्मार्टफोन, साइकिल, स्मार्टवॉच, ट्रॉफी, और सभी बच्चों को सर्टिफिकेट मेडल देकर सम्मानित करना हैं।
आप सभी लोग मिलकर सहयोग करेंगे तो हमलोग शिक्षा के प्रति अभिभावक और बच्चों को जागरूक करने में इस पहले मुहिम को सफल कर सकते हैं।
#सहयोग_कीजिएं....
अगर हमलोगों का प्रयास अच्छा लगा हो तो आप से उम्मीद है कि हमलोगों को सहयोग जरूर कीजियेगा।
UPI id- pupriofficial@ybl (Navin Kumar)
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9304651260 (प्रवीण गुप्ता)
8789035286 (नवीन नयन)
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