जोमैटो (Zomato) के सीईओ दीपिंदर गोयल ने एक नई और अनोखी भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा बनने वाले दो उम्मीदवारों को ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में नियुक्त किया है। खास बात यह है कि इन उम्मीदवारों से कोई वेतन नहीं लिया गया है, बल्कि उन्हें एक शर्त के तहत ₹20 लाख की फीस चुकानी पड़ी। लेकिन यह फीस उन्हें अपनी तनख्वाह के तौर पर नहीं मिली। इस राशि का भुगतान सीधे जोमैटो की गैर-लाभकारी संस्था 'फीडिंग इंडिया' को किया गया, जो भारत में भूखमरी और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर काम करती है।
गोयल का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य उन व्यक्तियों को आकर्षित करना था जो कंपनी के साथ काम करने के इच्छुक हैं, साथ ही वे ऐसे लोग हों जो पैसा नहीं, बल्कि सीखने और अनुभव प्राप्त करने के मौके को प्राथमिकता देते हैं। जोमैटो को इस प्रक्रिया से करीब 18,000 आवेदन मिले थे, जिनमें से 30 को चुना गया। इस चयन प्रक्रिया के बाद, 18 उम्मीदवार जोमैटो और उसकी सहायक कंपनियों में विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में शामिल हो गए हैं। इनमें से 2 लोग ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में दीपिंदर गोयल के साथ काम करेंगे।
दीपिंदर गोयल ने स्पष्ट किया कि किसी भी उम्मीदवार से किसी प्रकार का भुगतान नहीं लिया गया है, और सभी नियुक्तियां पूरी तरह से उम्मीदवारों की क्षमता और कौशल के आधार पर की गई हैं। उन्होंने इस प्रक्रिया को एक शिक्षा और अनुभव का अवसर बताया, जहां योग्य और समर्पित व्यक्ति बड़ी भूमिका निभा सकेंगे।
हालांकि, इस भर्ती प्रक्रिया ने सोशल मीडिया पर काफी चर्चा और आलोचना भी उत्पन्न की है, जहां कुछ लोगों ने इसे एक वित्तीय रणनीति के रूप में देखा, जबकि अन्य इसे शिक्षा और अवसर प्रदान करने की दिशा में एक अनूठा कदम मानते हैं।
जोमैटो ने यह सुनिश्चित किया है कि इस पहल के तहत जिन दो व्यक्तियों को 'चीफ ऑफ स्टाफ' नियुक्त किया गया है, उन्होंने कोई फीस नहीं ली और उनकी नियुक्ति पूरी तरह से उनकी क्षमता पर आधारित है।