Patna: बाल-विवाह व दहेज लेने-देने की सूचना मिलते ही संबंधित ग्राम पंचायत के मुखिया तत्काल इसकी सूचना बीडीओ और एसडीओ को देंगे और बाल-विवाह को रोकेंगे। अगर, ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल-विवाह का मामला प्रकाश में आता है तो संबंधित वार्ड सदस्य एवं मुखिया जिम्मेदार माने जाएंगे। अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार कर सकती है।
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को कहा है कि इसे सुनिश्चित कराने के लिए सभी जिलाधिकारियों और जिला पंचायती राज पदाधिकारियों को सख्त निर्देश दिया गया है। जिलों को यह भी कहा गया है कि दहेज लेने-देने से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी को मुखिया सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि बाल-विवाह एवं दहेज उन्मूलन में मुखिया एवं अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी एवं भूमिका तय की गई है। मालूम हो कि बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 22 एवं 47 के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है।
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विवाह का पंजीकरण करेंगे मुखिया
बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली, 2006 में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है। विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है। इसको लेकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि पंचायत क्षेत्र अंतर्गत हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया एवं पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा। विवाहों को पंजीकृत करने से बाल विवाह के मामलों पर अंकुश लगाया जा सकता है। सामाजिक मुद्दों पर मुखिया एवं अन्य पंचायत प्रतिनिधियों के स्तर पर की गई कार्रवाई और उनकी पहल को उनके समग्र कार्य मूल्यांकन में शामिल किया जाएगा। राज्य और जिलास्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर बेहतर कार्य करने वाले ऐसे प्रतिनिधियों को सम्मानित किया जाएगा।
2018 में बनी थी मानव शृंखला
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा के विरोध में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया है। इसके पहले वर्ष 2018 के जनवरी में दहेज प्रथा और बाल-विवाह के खिलाफ मुख्यमंत्री के आह्वान पर बिहार में मानव शृंखला बनी थी।