नई दिल्ली: एनडीए ने राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही एक बार फिर चौंकाने वाला फैसले लेते हुए अनजान से चेहरे द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के मैदान में उतारा गया है।
द्रोपदी मुर्मू का संघर्ष
ओडिशा के बेहद पिछड़े और संथाल बिरादरी से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी के जीवन का सफर संघर्षों से भरा रहा है।आर्थिक अभाव के कारण महज स्तानक तक शिक्षा हासिल करने में कामयाब रही द्रौपदी ने पहले शिक्षा को अपना कैरियर बनाया। पहले ओडिशा सरकार में अपनी सेवा दी। बाद में राजनीति के लिए भाजपा को चुना और इसी पार्टी की हो कर रह गई। साल 1997 में पार्षद के रूप में उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत हुई। साल 2000 में पहली बार विधायक और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री बनने का मौका मिला। साल 2015 में उन्हें झारखंड का पहला महिला राज्यपाल बनाया गया।20 जून को मुर्मू ने अपना जन्मदिन मनाया है। पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरी भी ओडिशा में पैदा हुए थे, लेकिन वह मूलत: आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे।
इससे पहले कल विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना राष्ट्रपति बनाने का ऐलान किया था वहीं भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। दिल्ली में भाजपा हेडक्वार्टर में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक में पीएम मोदी के अलावा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी व अन्य कई नेता मौजूद थे।
भाजपा ने इस बार राष्ट्रपति पद के लिए एक आदिवासी चेहरे का चयन किया है। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं। जानकारी के मुताबिक केंद्र में एनडीए के घटक दल बीजू जनता दल ने भी द्रौपदी मुर्मू के नाम पर सहमति जताई है। अगर मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति होंगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि पहली बार एक महिला आदिवासी को प्राथमिकता दी जा रही है।
द्रौपदी को मौका क्यों?
दरअसल भाजपा का आदिवासियों में प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। देश में इस बिरादरी की आबादी सवा आठ फीसदी है। कुछ महीने बाद गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। यहां यह बिरादरी संख्या की दृष्टि से बेहतर प्रभावशाली है। फिर इस बिरादरी का प्रभाव पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्रप्रदेश और ओडिशा में भी बहुत ज्यादा है। इनमें से ओडिशा और पश्चिम बंगाल में पार्टी अरसे से सत्ता हासिल करना चाहती है। फिर इस बिरादरी का प्रभाव मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक में भी है।
पार्टी का इस बिरादरी में बेहद प्रभाव है। इसका अंदाजा इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि बीते लोकसभा चुनाव में एसटी आरक्षित 47 सीटों में से 31 सीटों पर भाजपा को जीत हासिल हुई थी। फिर मूर्म को खांटी भाजपाई होने के साथ महिला और अनुसूचित जाति वर्ग से होने का सीधा लाभ मिला।
जीतीं तो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी द्रौपदी मुर्मू
NDA की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आंतरिक मजबूती की खूबसूरत और अद्भुत कहानी हैं। पार्षद के रूप में राजनीतिक कैरिअर शुरू करने वाली द्रौपदी का बतौर अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) से देश का पहला और बतौर महिला दूसरा राष्ट्रपति बनना तय है।