नेपाल फिर बनेगा हिंदू राष्ट्र? दिल्ली बीजेपी दफ्तर में नेपाली पीएम देउबा ने क्या खिचड़ी पकाई?

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नेपाल: चीन के चक्कर से निकलकर भारत का पड़ोसी देश नेपाल एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ निकल पड़ा है। दुनिया में कई क्रिश्चियन देश हैं, ब्रिटिश झंडे पर अभी भी 'क्रॉस' का निशान आपको दिखेगा, जो किसी खास धर्म के प्रति उनके विश्वास को दिखाता है, तो दुनिया में दर्जनों मुस्लिम देश भी हैं। लेकिन, धरती पर एक भी हिंदू देश नहीं है। नेपाल पहले एक हिंदू देश हुआ करता था, लेकिन वामपंथियों के प्रभाव में आकर नेपाल ने हिंदू धर्म का 'त्याग' कर दिया। लेकिन, करीब 14 सालों के बाद जाकर नेपालियों के मन से वामपंथ का 'भूत' उतर चुका है और नेपाल एक बार फिर से हिंदू देश बनने के लिए कदम आगे बढ़ा चुका है।

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हिंदू देश बनाने की मांग तेज

नेपाल को हिंदू देश बनाने की मांग काफी तेजी से शुरू हो चुकी है और इस मांग का समर्थन सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने और मंत्रियों ने करना शुरू कर दिया है। नेपाल के पर्यटन मंत्री प्रेम अले ने राजधानी काठमांडू में वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन की दो दिवसीय कार्यकारिणी परिषध की बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि, जब दुनिया में कई ईसाई देश हो सकते हैं, दर्जनों मुस्लिम देश हो सकते हैं, तो फिर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग पर विचार क्यों नहीं किया जा सकता है। उन्होंने इस मांग का समर्थन करने और इस बाबत आगे काम करने की बात कही है। रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल में सत्ताधारी सरकार के पास अभी इतना बहुमत है, कि वो काफी आसानी से जनमत संग्रह के जरिए देश को फिर से हिंदू देश घोषित कर सकता है।



2008 में नेपाल बना था सेक्यूलर देश

आपको बता दें कि, 2008 से पहले नेपाल की पहचान एकमात्र हिंदू देश के तौर पर होती थी, लेकिन चीन ने नेपाल से उसका 'धर्म' छीनने के लिए और कम्युनिस्ट विचारधारा फैलाने के लिए काफी लंबा अभियान चलाया। साल 2006 में नेपाल में राजशाही को खत्म कर दिया गया और फिर साल 2008 में संसद में संविधान संशोधन कर नेपाल को सेक्युलर देश का दर्जा दे दिया गया। उस वक्त चीन का अभियान इतना ज्यादा तगड़ा था, कि देश वामपंथ के धथूरे खाकर 'नशे' में झूम रहा था और नेपाल को सेक्युलर राष्ट्र बनाने के लिए लंबी लंबी रैलियां हो रही थीं और वामपंथी नेता प्रचंड ने देश को चीन के चरणों में झुकाकर उसकी हिंदू पहचान छीन ली।

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उतर गया वामपंथ का बुखार

साल 2008 में नेपाल को 'सेक्युलर' देश का दर्जा दिया गया था और इस बात के अभी तक 14 साल बीत चुके हैं और नेपाल के लोगों के सिर से वामपंथ का नशा उतर चुका है। लोगों ने अब अच्छी तरफ से समझ लिया है, कि उनके वामपंथी नेताओं ने उनके धर्म के साथ क्या 'गुनाह' किया है, लिहाजा नेपाल के लोग अब जाग गये हैं और भूल सुधार की मांग अब काफी तेज हो गई है। नेपाल की राजनीति में धर्म हमेशा से हावी रही है, लेकिन बीच के कुछ सालों में चीन के प्रभाव की वजह से धर्म की राजनीति कम होती चली गई। लेकिन, पिछले कुछ सालों में फिर से लोगों ने खुद को टटोला और अपने नेताओं से पूछना शुरू कर दिया, कि सेक्युलर पहचान देकर क्या हासिल हुआ है। वहीं, नेपाल में धर्म की राजनीति की वापसी उसी वक्त हो गई थी, जब चीन के इशारों पर कत्थक करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भगवान राम को नेपाली करार दे दिया था।

वाराणसी का करेंगे दौरा

नेपाल के पीएम के भारत दौरे को लेकर जो प्रतीक मिल रहे हैं, उससे साफ जाहिर हो रहा है, कि जो नेपाल चीन के पाले में पूरी तरह से झुक गया था, वो वापस भारत की तरफ मुड़ चुका है। नेपाली पीएम आज भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे और उससे पहले नेपाल सरकार ने नेपाल में चल रही चीनी परियोजना को काफी धीमा कर भारत के साथ संबंध सुधारने के संकेत दे दिए हैं। वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के बाद नेपाली पीएम दिल्ली से वाराणसी का दौरा करेंगे, जिसे शिव की नगरी कहा जाता है और नेपाली पीएम का वाराणसी का दौरा भी यही निशान देता है, कि नेपाल अब वामपंथियों के जाल से मुक्त हो रहा है और एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र की तरफ मुड़ने के लिए बेकरार है।

नेपाल की आबादी में कितने % हिंदू

आपको बता दें कि, नेपाल की आबादी में हिंदू करीब 81 प्रतिशत हैं और करीब 9 प्रतिशत आबादी ही बौद्ध धर्म की है। वहीं, नेपाल में 4.39 प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है, तो बाकी धर्मों का प्रतिशत काफी कम है। लेकिन, सवाल ये उठता है, कि नेपाल को एक बार फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग क्यों की जा रही है? तो एक्सपर्ट्स का कहना है कि, चीन ने नेपाल की राजनीति में वामपंथ का भांग तो जमकर मिलाया, लेकिन धीरे धीरे नेपाल के लोगों को लगने लगा, कि चीन की मंशा क्या है। खासकर कोविड संकट में चीन ने नेपाल का संपर्क पूरी तरह से काट दिया, जिससे नेपाल को भारी परेशानी होनी शुरू हो गई और देश के वामपंथी नेताओं पर भारी दवाब आ चुका है और वापस मांग शुरू हो गई है, कि जब दुनिया में दर्जनों ईसाई देश हो सकते है और दर्जनों मुस्लिम देश हो सकते हैं, तो फिर नेपाल एक हिंदू देश क्यों नहीं हो सकता है?


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