उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पुलिस ने एक बड़े और संगठित ठगी रैकेट का खुलासा किया है। बिहार के सीतामढ़ी जिले का रहने वाला ललित किशोर उर्फ़ गौरव कुमार सिंह, जो खुद को 2022 बैच का IAS अधिकारी बताकर लोगों को ठग रहा था, गुलरिहा थाना पुलिस की टीम द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
एम.एससी पास यह युवक अपने सॉफ्टवेयर इंजीनियर साले अभिषेक कुमार की मदद से फर्जी आईडी कार्ड, सरकारी लेटरहेड, नेम प्लेट, स्टैंप और डिजिटल दस्तावेज तैयार करता था। इसी फर्जी पहचान के दम पर वह यूपी, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी, बड़े टेंडर और प्रभावशाली पोस्टिंग दिलाने का झांसा देकर करोड़ों रुपये की ठगी करता रहा।
सोशल मीडिया के जरिए बनता था ‘IAS अधिकारी’
गौरव सोशल मीडिया पर IAS अधिकारी की छवि बनाकर लोगों को भरोसे में लेता था। एक कारोबारी को उसने 450 करोड़ रुपये के टेंडर का झांसा देकर 5 करोड़ रुपये और दो इनोवा कारें तक ठग लीं।
बिहार चुनाव के दौरान रेलवे स्टेशन पर जब्त 99 लाख रुपये की जांच में उसके फर्ज़ीवाड़े का पहला सुराग मिला था।
गोरखपुर में चल रहा था पूरा ‘IAS प्रोटोकॉल’ शो
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी पिछले छह महीनों से गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज के पास किराए के मकान में रह रहा था और पूरा IAS प्रोटोकॉल—
✔ फर्जी स्टेनो
✔ गनर
✔ सरकारी लेटरहेड
✔ अधिकारी जैसी गाड़ी और व्यवहार
—का दिखावा करता था।
निजी जीवन में भी बड़ा खुलासा
पुलिस के मुताबिक आरोपी पहले से शादीशुदा है, लेकिन उसके चार गर्लफ्रेंड्स भी हैं, जिनमें से तीन गर्भवती हैं। एक महिला ने उस पर शादी का झांसा देकर आर्थिक शोषण का आरोप लगाया है।
AI टूल्स से बनाया फर्जी नेटवर्क
एसएसपी डॉ. विनीत भटनागर ने बताया कि आरोपी तीन वर्षों से सिविल सेवा की तैयारी कर रहा था, और असफलता के बाद उसने AI टूल्स की मदद से पूरा फर्जी सिस्टम तैयार किया।
पूछताछ में और भी बड़ी ठगी का खुलासा होने की संभावना है।
नकली अफसरों के बढ़ते खतरे पर बड़ा सवाल
यह घटना बताती है कि कैसे सोशल मीडिया, डिजिटल टूल्स और फर्जी दस्तावेजों के सहारे नकली अधिकारी समाज और प्रशासन के लिए गंभीर खतरा बनते जा रहे हैं। पुलिस लगातार इसके ऐसे गिरोहों के खिलाफ अभियान चला रही है।

