हिमालय पर्वत, जिसे पृथ्वी का सबसे ऊँचा पर्वतीय क्षेत्र माना जाता है, हर साल लगभग 5 मिलीमीटर ऊँचा हो रहा है। यह जानकारी वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी की भूगर्भीय गतिविधियों के अध्ययन के दौरान सामने आई है। आइए समझते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है और इसका क्या असर हो सकता है।
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कैसे बढ़ रही है ऊँचाई?
हिमालय पर्वत की ऊँचाई बढ़ने का मुख्य कारण टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल है। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच लगातार टकराव होता रहता है। भारतीय प्लेट उत्तरी दिशा में यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है, जिससे हिमालय पर्वत को ऊपर की ओर धकेला जा रहा है। यह प्रक्रिया लाखों सालों से चल रही है और यही हिमालय के निर्माण और उसकी बढ़ती ऊँचाई का कारण है।
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वैज्ञानिक अध्ययन क्या कहते हैं?
भूगर्भीय अध्ययनों के अनुसार, हिमालय पर्वत का निर्माण लगभग 5 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था, जब भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट पहली बार टकराई थी। यह टकराव इतनी ताकतवर थी कि इसके कारण समुद्री तल ऊँचाई पर उठकर पर्वत में बदल गया। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट डेटा और जीपीएस तकनीक का उपयोग करके यह पाया कि हिमालय अब भी हर साल बढ़ रहा है।
इसका पर्यावरण और मानव जीवन पर प्रभाव
1. भूकंप का खतरा: प्लेटों के टकराव से हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का खतरा बढ़ जाता है। यह क्षेत्र भूकंप-प्रवण माना जाता है।
2. जलवायु पर असर: हिमालय की ऊँचाई में बदलाव से क्षेत्र का मौसम और ग्लेशियर पिघलने की दर प्रभावित हो सकती है।
3. नदियों पर असर: हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु, हिमालय की संरचना और ऊँचाई से प्रभावित होती हैं।
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भविष्य के लिए चेतावनी
वैज्ञानिकों का मानना है कि हिमालय के बढ़ने की प्रक्रिया के कारण भविष्य में भूगर्भीय गतिविधियाँ और अधिक जटिल हो सकती हैं। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और आधुनिक तकनीकों का सहारा लेने की जरूरत है ताकि भूकंप और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को कम किया जा सके।