बिहार की उच्च शिक्षा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। राज्य के दो प्रमुख विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय (पीयू) और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (एलएनएमयू), दरभंगा, को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है। भारत सरकार ने इस निर्णय को मंजूरी देते हुए बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद को स्वीकृति पत्र भेजा है।
क्या है शोध विश्वविद्यालय का दर्जा?
शोध विश्वविद्यालय का दर्जा किसी भी विश्वविद्यालय को उच्चस्तरीय शोध और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के लिए दिया जाता है। इसका उद्देश्य शिक्षण और शोध के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
पीएम उषा योजना के तहत मिला दर्जा
प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (पीएम उषा) के तहत इस वर्ष देशभर के 35 विश्वविद्यालयों को शोध विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया है, जिनमें से पटना विश्वविद्यालय और मिथिला विश्वविद्यालय शामिल हैं।
100-100 करोड़ रुपये की धनराशि
दोनों विश्वविद्यालयों को शोध और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 100-100 करोड़ रुपये की विशेष धनराशि प्रदान की जाएगी। यह धनराशि निम्नलिखित कार्यों में उपयोग की जाएगी:
1. आधुनिक शोध सुविधाओं का निर्माण।
2. स्मार्ट क्लासरूम की स्थापना।
3. लैब उपकरणों की खरीद।
4. बुनियादी ढांचे का उन्नयन।
अन्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को भी लाभ
शोध विश्वविद्यालय के दर्जे के साथ, बिहार के अन्य शैक्षणिक संस्थानों को भी विकास के लिए धनराशि प्रदान की गई है:
1. भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा – 20 करोड़ रुपये।
2. जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा – 20 करोड़ रुपये।
3. नालंदा खुला विश्वविद्यालय – 20 करोड़ रुपये।
इसके अलावा, बिहार के 15 कॉलेजों को आधारभूत संरचना के विकास के लिए पांच-पांच करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
इनमें अररिया कॉलेज, पीबीएस कॉलेज बांका, गोपेश्वर कॉलेज हथुआ, डीएसएम कॉलेज झाझा, कोशी कॉलेज खगड़िया, बीएनएम कॉलेज बड़हिया, एचएस कॉलेज मधेपुरा, राजकीय डिग्री महाविद्यालय पश्चिम चंपारण, बीएन कॉलेज पटना, महंत शिवशंकर गिरि कॉलेज पूर्वी चंपारण, एमएचएम कॉलेज सोनवर्षा, एसकेआर कॉलेज बरबीघा, राजकीय डिग्री कॉलेज शिवहर, श्री लक्ष्मी किशोरी कॉलेज सीतामढ़ी और डीएवी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज सीवान हैं।
बिहार की शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा
इस उपलब्धि से बिहार की शिक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी। शोध और शिक्षण के उच्च स्तरीय अवसरों से छात्रों को लाभ होगा। साथ ही, यह पहल राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के मानचित्र पर एक मजबूत पहचान दिलाएगी।