भारत के लोकतांत्रिक सुधारों की दिशा में "वन नेशन, वन इलेक्शन" (एक राष्ट्र, एक चुनाव) विधेयक को ऐतिहासिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। 17 दिसंबर 2024 को यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया और बहुमत से पारित हो गया।
लोकसभा में विधेयक का समर्थन
विधेयक के पक्ष में 269 वोट पड़े जबकि विरोध में 198 वोट दर्ज हुए। यह स्पष्ट संकेत है कि देश में चुनावी प्रक्रिया को एकजुट करने की दिशा में समर्थन मजबूत हो रहा है।
विधेयक के मुख्य बिंदु
1. संविधान में संशोधन:
अनुच्छेद 82A, 172, 327, और 83 में संशोधन प्रस्तावित है ताकि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकें।
2. मध्यावधि चुनाव का समाधान:
किसी भी विधानसभा या लोकसभा के भंग होने की स्थिति में मध्यावधि चुनाव कराए जाएंगे, लेकिन कार्यकाल अगले सामान्य चुनाव तक सीमित रहेगा।
3. स्थानीय निकाय चुनाव:
पंचायत और नगर निकाय चुनाव भी समान चुनावी प्रक्रिया के तहत लाने की योजना है।
विधेयक की वर्तमान स्थिति
विधेयक अब राज्यसभा में विचाराधीन है। यहां इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। इसके बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने पर यह कानून का रूप ले लेगा।
विधेयक के संभावित लाभ
चुनावी खर्च में कमी: बार-बार चुनावों से होने वाले आर्थिक बोझ को कम किया जाएगा।
प्रशासनिक सुचारूता: चुनावी प्रक्रिया के कारण प्रशासन के बार-बार प्रभावित होने की समस्या दूर होगी।
नीतिगत स्थिरता: एक साथ चुनाव से नीति निर्माण और क्रियान्वयन में निरंतरता आएगी।
जनता के लिए सहूलियत: मतदाताओं को बार-बार मतदान प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ेगा।
राजनीतिक और विशेषज्ञ प्रतिक्रिया
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस विधेयक की सिफारिश की थी। 47 राजनीतिक दलों में से 32 दलों ने इसका समर्थन किया, जबकि कुछ दलों ने इसके खिलाफ अपनी चिंताएं जाहिर की हैं।
"एक राष्ट्र, एक चुनाव" भारतीय लोकतंत्र को मजबूत और संगठित बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। हालांकि राज्यसभा में विधेयक का भविष्य अभी तय होना बाकी है, लेकिन लोकसभा में इसका पारित होना ऐतिहासिक उपलब्धि है।