साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में बिहार के भागलपुर के रहने वाले 20 वर्षीय मयंक ने अपनी असाधारण प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया है। मयंक ने गूगल, नासा, और PhonePe जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ-साथ बिहार सरकार की वेबसाइट्स में सुरक्षा खामियों को उजागर कर उन्हें सुधारने में मदद की है। एथिकल हैकिंग के माध्यम से उन्होंने यह साबित किया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी दृढ़ निश्चय और मेहनत से बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं।
शुरुआत और चुनौतियां
मयंक का सफर संघर्षों से भरा रहा है। वे भागलपुर के बूढ़ानाथ क्षेत्र में छोटे से कमरे में रहते हैं। कुछ वर्ष पहले तक उनके पास न तो कंप्यूटर था और न ही एथिकल हैकिंग में कोई औपचारिक प्रशिक्षण। एक साइबर सुरक्षा पर बनी फिल्म देखकर उन्हें इस क्षेत्र में रुचि हुई। बिना किसी महंगे उपकरण के, उन्होंने अपने मोबाइल फोन से हैकिंग सीखना शुरू किया और देखते ही देखते अपनी पहचान बनाई।
अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां
1. गूगल और नासा के साथ सहयोग:
मयंक ने गूगल की वेबसाइट में खामी का पता लगाकर उन्हें सूचित किया। उनकी इस उपलब्धि के लिए गूगल ने उन्हें लैपटॉप और उपहार देकर सम्मानित किया।
वहीं, नासा की वेबसाइट पर उन्होंने डेटा लीक जैसी समस्या का पता लगाया। नासा ने मयंक के योगदान को सराहा और सुधारात्मक कदम उठाए।
2. PhonePe में बड़ी खामी का खुलासा:
मयंक ने PhonePe के लॉगिन सिस्टम में एक गंभीर खामी का पता लगाया, जिसमें बिना ओटीपी के अकाउंट एक्सेस किया जा सकता था। इस खुलासे के बाद PhonePe ने उन्हें 'हॉल ऑफ फेम' में शामिल कर उनकी प्रतिभा को मान्यता दी।
बिहार सरकार की वेबसाइट्स में सुधार
मयंक ने बिहार सरकार की शिक्षा विभाग की 'ई-शिक्षा कोष' ऐप में ऐसी खामी खोजी, जिससे शिक्षक घर बैठे अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते थे। उन्होंने इस समस्या को विभाग के सामने उठाया, जिसके बाद इसे तुरंत ठीक किया गया।
इसके अतिरिक्त, कृषि विभाग की भूमि संरक्षण से जुड़ी वेबसाइट में भी उन्होंने तकनीकी खामियां खोजीं और उन्हें सुधारने में मदद की।
शिक्षा और भविष्य की योजनाएं
मयंक फिलहाल रायपुर की कलिंगा यूनिवर्सिटी से बीसीए की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका सपना है कि वे साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव लाएं और अपनी प्रतिभा से बिहार और भारत को गौरवान्वित करें। उन्होंने बिहार सरकार से अपेक्षा की है कि उन्हें उनके कार्यों के लिए प्रोत्साहन मिले, ताकि वे और बेहतर तरीके से अपनी सेवाएं दे सकें।
एथिकल हैकिंग का महत्व और मयंक की प्रेरणा
मयंक का कहना है कि एथिकल हैकिंग केवल सुरक्षा खामियों को उजागर करने का काम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा माध्यम है, जिससे संस्थान और सरकारें अपनी सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बना सकती हैं। उनकी प्रेरणा उन युवा प्रतिभाओं के लिए एक मिसाल है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं।
मयंक की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि सही दिशा और नीयत के साथ कोई भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। उनके योगदान से बिहार और देश को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में नई पहचान मिली है।