गर्व: “कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों” दुष्यंत कुमार द्वारा लिखित इस पंक्ति को उत्तर प्रदेश की बेटी सानिया मिर्जा ने चरितार्थ कर दिखाया है। सानिया देश की पहली मुस्लिम महिला फाइटर पायलट बनी है। इसके अलावा सानिया मिर्जा उत्तर प्रदेश की भी पहली महिला फाइटर पायलट बन चुकी है। यह पूरे देश सहित प्रदेश के लिए गर्व की बात है। इनके कामयाबी से परिवार सहित पूरा प्रदेश खुशी से फूले नहीं समा रहा है।
सानिया मिर्जा उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के जसोवर गांव निवासी है। इनके पिता पेशे से टीवी मकैनिक हैं। सानिया एनडीए परीक्षा पास कर इस कामयाबी को हासिल की है। उन्होंने दूसरी बार में इस मुकाम को पाया है। आज सानिया अपने जैसी तमाम लड़कियों के लिए एक प्रेरणा बन चुकी हैं। एक छोटे से गांव से निकलकर इतनी बड़ी कामयाबी पाना गर्व की बात है।
सानिया मिर्जा ने अपनी स्कूली शिक्षा हिंदी मीडियम स्कूल से की है। वह कहती हैं कि हिंदी माध्यम के विद्यार्थी ठान लें तो कुछ भी हासिल कर सकते हैं। 27 दिसंबर को वह पुणे में एनडीए खडकवासला में शामिल होंगी। सानिया मिर्जा की इस शानदार सफलता पर उनके माता-पिता ही नहीं बल्कि गांव वालों को भी गर्व है।
सानिया की प्रारंभिक शिक्षा
सानिया ने प्राथमिक से 10वीं तक की पढ़ाई गांव के ही पंडित चिंतामणि दुबे इंटर कॉलेज में की है। इसके बाद उसने शहर के गुरु नानक गर्ल्स इंटर कॉलेज में दाखिला लिया। उसने 12वीं यूपी बोर्ड में पूरे जिले में टॉप किया था। इसके बाद सेंचुरियन डिफेंस एकेडमी से तैयारी शुरू की। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ सेंचुरियन डिफेंस एकेडमी को देती हैं।
पहली बार हुई थीं असफल
सानिया मिर्जा देश की दूसरी ऐसी लड़की हैं, जिन्हें फाइटर पायलट के तौर पर चुना गया है। सानिया इस परीक्षा में पहली बार पास नहीं हो पाई तो दोबारा परीक्षा दी। सानिया ने कहा कि वह हमेशा से फाइटर पायलट बनना चाहती थीं। सानिया की प्रेरणा स्रोत देश की पहली महिला पायलट अवनी चतुर्वेदी हैं। वह शुरू से ही उनके जैसा बनना चाहती थी।