बिहार का एक ऐसा छठ घाट जहाँ दो देशों के नागरिक एक साथ करते है छठ पूजा..

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सिर्फ परिवार ही नहीं, दो देशों की मित्रता,संस्कृति व स्नेह का मधुर मिलन होता है इस छठ घाट पर

भारत-नेपाल की सीमाई क्षेत्र के लोगो की बात छोर दें तो देश के अंदर रहने वालों के लिए किताबों व समाचार पत्रों में छपी दोनों देश के लोगो के बीच आपसी रिश्ते, प्यार, स्नेह की बातें एक रोचक कहानी से कम नही होता है।परन्तु जो भी लोग भारत-नेपाल की सीमा पर अवस्थित सोनबरसा बाजार के निकट झिम नदी पर छठ व्रत को देखें है या देखने आएंगे वे खुली आँखों से दोनों देश के लोगो के बीच आपसी प्रगाढ़ रिश्ते व प्यार को देख कर जरूर सुखद अनुभूति पाएंगे ।

सीतामढ़ी जिला का सोनबरसा प्रखण्ड का भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित बाजार जहां से पहले बाजार के निकट ही झिम नदी की कलकल धारा बहा करती थी। नदी का आधा भाग नेपाल तो आधा भाग भारतीय क्षेत्र में होता था। यहां नदी के दोनों किनारे भारत व नेपाल के श्रद्धालु परिवार एक साथ छठ पर्व मनाते आएं हैं। 

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कुछ वर्ष पूर्व नदी की धारा ने अपना दिशा बदला और नेपाल सर्लाही के त्रिभुवन नगर की बस्ती के पास से गुजरने लगा। नदी की धारा ने भले ही दिशा बदल लिया परन्तु भारत और नेपाल के सीमावर्ती लोगो ने एक साथ उक्त नदी की घाट पर ही छठ पर्व मनाना जारी रखा।

सोनबरसा बाजार व त्रिभुवन नगर के बीच झिम नदी घाट पर भारत-नेपाल के नागरिक एक साथ मनाते हैं छठ व बितातें है खुशनुमा माहौल में व्रत की रात।

इस बार भी दोनों देश के छठव्रती जब झिम नदी के दोनों किनारे पर अपने-अपने घाटों पर व्रत करने पहुंचेंगे तब छठ घाट पर नेपाल में बसी बेटी से भारत मे बसी मां का मिलन देख कर सिर्फ धरती पर ही लोग नही आनंदित होंगे बल्कि ऊपर बैठा ईश्वर भी इस पल का आनंद लेने में नही हिचकेंगे। 

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इस छठ घाट पर दोनों देश के व्रती रात भी साथ गुजारते हैं। रात को भी एक देश में बसने वाले रिश्तेदार दूसरे देश मे बसे रिश्तेदारों से मिलने उसके घाटों पर जाते हैं। वह पल और ज्यादा सुखद होता है जब भारत या नेपाल में बसी मां या पुत्री को पानी मे उतर कर सूर्य को अर्ध्य देते वक्त एक दूसरे को सुपली हाथों में देते हैं। इस वक्त दोनों देश की शरहद भी कहीं नजर नही आता है। बस नजर आता है तो रिश्तों के बीच प्यार ही प्यार।


स्थानीय नागरिक ने बताया कि हर वर्ष छठ में इस तरह दोनों देश के नागरिक एक साथ छठ पर्व मनाते हैं जिसे देखना बेहद ही सुखद होता है। हम सभी गौरवान्वित है जो ऐसे जगह पर रहते हैं जहां आपसी रिश्तों का मिलन इस तरह सुखद अनुभूति प्रदान करता है। वाकई में छठ पर्व इसलिए भी महान है कि इसके बहाने मां से दूर बेटा, पुत्री व पति का भी मिलन हो जाता है।

इस अति व्यस्त व टूटते पारिवारिक रिश्तों के बीच परिवारों को जोड़ने का कार्य भी इस महान पर्व छठ में किया जाता है। धरती पर यही पर्व है जो सदियों सदियों तक एक जुट पारिवारिक रिश्ते को कायम रखेगा।

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