88 साल के इतिहास में पहली बार मध्यप्रदेश ने जीती रणजी ट्रॉफी, 41 बार की चैंपियन मुंबई को 6 विकेट से हराया..

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खेल: भारत के सबसे बड़े डोमेस्टिक क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी को नया चैंपियन मिल गया है। बेंगलुरु में खेले गए फाइनल मुकाबले में मध्य प्रदेश ने 41 बार की चैंपियन मुंबई को छह विकेट से हराकर पहली बार खिताब जीत लिया है। 88 साल के रणजी के इतिहास में पहली बार है मध्यप्रदेश ने ट्रॉफी जीती। 23 साल पहले मध्यप्रदेश फाइनल में तो पहुंचा था, लेकिन टीम को कर्नाटक से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार इतिहास रचते हुए मध्यप्रदेश ने मुंबई को 6 विकेट से हराकर ट्रॉफी अपने नाम कर ली है।

मैच के आखिरी दिन मुंबई की दूसरी पारी 269 रन के स्कोर पर सिमट गई। इस तरह को जीत के लिए 108 रन का टारगेट मिला, जिसे उसने चार विकेट खोकर हासिल कर लिया। पहली पारी में मुंबई ने 374 रन बनाए थे। जिसके जवाब में मध्यप्रदेश ने 536 रन बनाते हुए 162 रन की बढ़त हासिल की थी।

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मध्यप्रदेश ने मुंबई की पहली पारी के 374 रन के स्कोर के जवाब में 536 रन बनाकर अपना एक हाथ ट्रॉफी पर पहले ही रख दिया था। नियमों के मुताबिक अगर फाइनल ड्रॉ होता है तो पहली पारी में बढ़त हासिल करने वाली टीम विजेता बनती है। हालांकि, मध्यप्रदेश ने इतने से संतोष नहीं किया और आखिरी दिन सात विकेट से हासिल कर खुद को इस ट्रॉफी का सच्चा हकदार साबित किया।

फाइनल में मध्यप्रदेश की ओर से तीन बल्लेबाजों यश दुबे (133 रन), शुभम शर्मा (116 रन) और रजत पाटीदार (122 रन) ने शतक जमाए। मध्यप्रदेश के गेंदबाजों ने अपना योगदान बखूबी दिया। गौरव यादव ने मैच में 6 विकेट लिए। कुमार कार्तिकेय के साथ पांच सफलता लगी। बाकी गेंदबाजों ने भी उनका भरपूर सहयोग किया।

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मुंबई की पहली पारी के 374 रन के जवाब में मध्यप्रदेश ने 536 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया। यश दुबे और शुभम शर्मा और रजत पाटीदार ने शतकीय पारियां खेलीं। दूसरे विकेट के लिए शुभम शर्मा और यश दुबे ने 222 रन की साझेदारी कर मध्यप्रदेश को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया शुभम शर्मा 116 रन बनाकर आउट हुए। यश दुबे ने 133 और रजत पाटीदार ने 122 रन की पारी खेली।

मुंबई के लिए तुषार देशपांडे ने तीन विकेट और सम्स मुलानी ने पांच विकेट लिए थे। जबकि मोहित अवस्थी को दो विकेट मिले।

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