Holi Festivals: होली क्यों मनाई जाती है? रोचक जानकारी, होली का इतिहास क्या है?

0

 

विदेशों में भी होली धूम-धाम से मनाई जाती हैं।

Holi: भारत (India) का बहुत ही लोकप्रिय और प्रमुख त्यौहार (Festivals) होली है। होली हर्षोल्लास से भर देने वाला त्यौहार है। होली को रंगो का त्योहार भी कहा जाता है, जिस दिन को हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। होली न सिर्फ भरत में बल्कि दुनिया विभिन्न देशो में भी मनाया जाता है। यह प्रमुख रूप से भारत तथा नेपाल (Nepal) में मनाया जाता हैै। यह त्यौहार विश्व (World) के अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू लोग रहते हैं, वहाँ भी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे तथा अन्य पुरानी बातो को भूल कर गले लगते हैं, और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं, प्यार से मिलते है। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं, तथा बड़े लोग अभी एक दूसरे के गले मिलते है, रंग लगाते है।

होली कब मनाई जाती है.? 

वैसे तो यह त्यौहार पारम्परिक रूप से दो दिनों तक मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन करने की परंपरा है, फिर अगले दिन होली मनायी जाती है। होली पर्व न सिर्फ धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है। इस साल (2022) होलिका दहन 17 मार्च को किया जाए।

होली के दिन ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और लोग एक दूसरे के घर जा कर एक दूसरे को रंग लगते है। ऐसा कहा जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी भूल, गलतिया इत्यादि को भूल कर गले मिलते हैं, और वापस दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का कार्यक्रम दोपहर से शाम तक चलता है। इसके बाद नहाते - फ्रेश होते है, फिर विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।

महाशिवरात्री भव्य  विडियो पुपरी  


होली (Holi) और होलिका (Holika) एक दूसरे से जुड़े हुए है। जहा होलिका भक्ति और त्याग का प्रमाण है, वही होली परस्पर प्रेम का प्रमाण है। होली मनाने के एक रात पहले होलिका को जलाया जाता है। होलिका दहन के पीछे एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है, जो भक्ति से परिपूर्ण है।

प्राचीन ग्रंथो के अनुसार, प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप (Hiranyakasyap) नाम से एक असुर था। उसकी एक दुष्ट बहन थी, जिसका नाम होलिका था। होलिका ने ब्रम्हा देव की तपस्या करके वरदान प्राप्त किया था, परन्तु वरदान प्राप्त होने के पश्चात् वह दुसरो पर जुल्म करने लगी, लोगो को परेशान करने लगी।

राजा हरिण्यकश्यप का एक बेटा था, जो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का परम भक्त था। उसका नाम प्रह्लाद (Pralhad) था, जिसे हम भक्तिपूर्वक भक्त प्रह्लाद कहते है। परन्तु भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु भगवान को स्वयं का शत्रु समझाता था, इसलिए उसने अपने राज्य में भगवन विष्णु की पूजा करने पर रोक लगा दी थी। जो व्यक्ति भगवान विष्णु की पूजा करता उसे वह मरवा देता था। असुर हरिण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी थे, जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका, परन्तु वह नहीं माने, तो हरिण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने का योजना बनाने लगा की कैसे उसे मारा जाये।

असुर हरिण्यकश्यप ने बहुत प्रयास किया भक्त प्रल्हाद को मरने का, परन्तु वह असफल रहा। हरिण्यकश्यप ने प्रल्हाद को पहाड़ो से गिरवाया, तलवार से कटवाने का प्रयास किया, समुद्र में डुबोने का प्रयास किया, परन्तु भक्त प्रल्हाद के भक्ति के कारण भगवन विष्णु उसे हमेशा बचा लेते थे। अंत में हरिण्यकश्यप हारकर अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को ब्रम्हा से आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका भी अपने भाई हरिण्यकश्यप की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। आखिर वो दिन आआ गया जब होलिका प्रल्हाद को जलाने वाली थी। इसके लिए लकड़ियों की चिटा तैयार की गयी, अब होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता में जा बैठ गयी। उसे भरोसा था की उसे कुछ नहीं होगा, उलट प्रल्हाद जल कर भस्म हो जायेगा, परन्तु विष्णु की असीम कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई। यह कथा इस बात को दर्शाती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। कैसी भी स्थिति रहे हमेशा सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए। आज भी हम भक्त प्रल्हाद के भक्ति तथा बुराई पर सत्य के विजय को याद करते है। उसी को दर्शाने के लिए आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक जुट होकर खुशिया मानते है। लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं, एक दूसरे के गले मिलते है, मिठाईया खिलते है. लोग नफ़रत भुलाकर भूलकर प्रेम भाव से रहते है। इसलिए होली के त्यौहार को प्रेमभाव तथा रंगो का त्योहार कहते है।

अधिक जानकारी के लिए नीचे फोटो पर क्लिक करें

होली एक ऐसा त्यौहार है, जिसमे भारतीय संस्कृति की झलक दिखती है, जिसके रंग अनेकता में एकता को दर्शाते हैंम होली एक ऐसा त्यौहार है, जिसमे लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में पहले से ही मिठाईया, गुझिया आदि बनाती हैं, तथा अपने पास-पड़ोस में बाटी जाती हैं। कई लोग तो होली की टोली बनाकर निकलते हैं, फिर आस पड़ोस में जाकर होली खेलते है। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है, बच्चे कुछ दिन पहले से ही होली की तैयारियां करने लगते है, बाजारों से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते है।

भारत में होली का त्यौहार अलग-अलग प्रदेशों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। फिर भी कुछ जगहों की होली कुछ ज्यादा ही आकर्षक होती है। लोगों की निगाहे कुछ प्रशिद्ध जगह पर टिकी  होती है। इनमें से ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर (Famous) है। विभिन्न देशों में बसे हुए प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग तरीके से होली के शृंगार व उत्सव मनाया जाता है।

संक्षिप्त में जानिए, होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है? 

यह त्यौहार भक्त प्रल्हाद के भक्ति, और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। हालांकि यह पारंपरिक रूप से एक हिंदू त्योहार है, होली दुनिया भर में मनाई जाती है और एक महान तुल्यकारक है। होली का त्यौहार होलिका दहन के दूसरे दिन मनाई जाती है।

होली का त्यौहार कब मनाया जाता है?

हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है, तथा उसके अगले दिन होली मनायी जाती है. इस वर्ष (2022) में होलिका दहन 17 मार्च को मनाया जाएगा, जबकि होली 18 मार्च के दिन मनाई जाएगी।

होली मनाने का मुख्य कारण क्या है? 

होली मनाने का मुख्य कारण ईश्वर भक्ति और सच्चाई की जीत है। हम यह भी कह सकते है की होली मनाने के लिए भक्त प्रल्हाद ही मुख्य कारक है, और होलिका दहन के लिए हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को मुख्य कारक है।

जाने होली मनाने की शुरुआत कैसे हुई? 

माना जाता हैं कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीराधा और गोपियों के साथ लट्ठमार होली खेली थी, तभी से होली मनाने की परंपरा शुरू हो गयी।

होली कितने देशों में मनाई जाती है? 

होली लगभग सभी देशों में मनाई जाती है, जहाँ भी हिन्दू समाज रहती है। होली का त्यौहार मुख्यतः भारत, नेपाल, भूटान (Bhutan), पाकिस्तान (Pakistan), बंगलादेश (Bangaldesh), श्री लंका (Srilanka) और मॉरीशस में भारतीय परंपरा के अनुरूप ही होली मनाई जाती है। जहाँ-जहाँ भी भारतीय प्रवासी जाकर बसे हैं, वहाँ वहाँ होली की मनाई जाती है। कैरिबियाई देशों में बड़े धूमधाम और मौज-मस्ती के साथ होली का त्यौहार मनाया जाता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top